नेतागीरी
बातो की बात बनाते हो , दिन की बात रातो में
रातो का दिन मैं , एक ही खिस्सा सालों से गुनगुनाते हो
नेतागीरी करने वालो तुम केवल बातो की रोटी खाते हो,
सामने से प्यार हो ना हो , फ़ोन पे प्यार जताते हो
दो पैसे का काम करके , करोड़ो का बताते हो ,
नेतागीरी करने वालो ….
रहते नहीं कभी धरती पे , सदा हवा मैं लहराते हो
राजा थे सब पूर्वज तुम्हारे , ये कहानी सुनाते हो
नेतागीरी करने वालो …..
हां डरते नहीं तुम किसी से, ये बात तुम सबसे बताते हो
डरने वाली कोई बात ना हो , पहले ही गायब हो जाते हो
नेतागीरी वाले बातो की रोटी खाते हो ,
घर मैं खाने को रोटी नहीं , सड़क पे नेतागिरी चमकाने जाते हो
जब आये इलेक्शन , सचाई और ईमनदारी का ढोंग रचाते हो
नेतागीरी करने वालो बातो की रोटी खाते हो
जा के शादीओ और मरनि में , सेल्फी ले के आते हो
त्यौहार आते ही , चारो धर्म निभाते हो
नेतागीरी करने वालो ….
खुद के घर का पता नहीं , दुसरो को संस्कार सिखाते हो
कभी राम तो कभी कृष्ण , खुद का नहीं बताते हो
नेतागीरी करने वालो …..
तुम्हारा खुद का कोई ईमान नहीं , खुद का कोई ज्ञान नहीं
भोली जनता के सामने , मोटिवेशनल स्पीकर बन जाते हो
नेतागीरी करने वालो …..