यु ही नहीं मैं “रजनीगंधा” बन जाता हु और कैंसर फैलता हु

क्यों बन रहे हो रजनीगंधा क्यों सुबह की पहली किरण का छोर ढूढ़ने निकल जा रहे हो

आराम क्यों नहीं करते घर पे रहो क्यों कैंसर फैलाना हैं क्या कीड़ा हैं तुमको

आराम क्यों नहीं करते घर पे रहो क्यों कैंसर फैलाना हैं क्या कीड़ा हैं तुमको